Description
Gandhi Ki Drishti – Dada Dharmadikari
गांधी की दृष्टि – दादा धर्माधिकारी
गांधीजी ने तरह-तरह की प्रवृत्तियाँ शुरू करवायी थीं। इन प्रवृत्तियों के पीछे सत्य, अहिंसा, स्वदेशी और शरीरश्रम का एक दर्शन था। गांधीजी की दृष्टि सत्यमय थी। सत्य ही उनका परमेश्वर था। उनका सारा जीवन सत्य के प्रयोग में बीता। जीवन भर उन्होंने व्यक्तिगत, कौटुम्बिक, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय चुनौतियों का साहस से सामना किया। समय-समय पर उसमें दिखे सत्य को दृढ़ता से स्वीकार किया तथा अहिंसा से उस पर अमल किया। गांधी की दृष्टि सत्य, अहिंसा, निर्भयता, सत्याग्रह आदि मानव मूल्यों पर आधारित थी। इन्हीं मूल्यों की विशद विवेचना दादा धर्माधिकारी ने ‘गांधी की दृष्टि’ पुस्तक में की है।
Pages: 176
Size: Demy